कृषि

फसल गहनता

भारत में खरीफ के मौसम में 360 लाख हेक्टेयर भू-क्षेत्र में धान की फसल उगाई जाती है। भारत में खाद्य उत्पादन के क्षेत्र में इसका महत्वपूर्ण योगदान है क्योंकि चावल मुख्य खाद्य फसल है। यह देखा गया है कि इस भू-क्षेत्र का लगभग 30% हिस्सा धान की फसल कटने के बाद परती (खाली) रह जाता है। उपग्रह डेटा का उपयोग करते हुए खरीफ के बाद ऐसी धान परती भूमि के मानचित्रण और निगरानी (मानीटरन) से रबी फसल के लिए उपयुक्त क्षेत्रों की पहचान करने में मदद मिलेगी। रबी के मौसम में खाली बची हुई परती भूमि के निर्धारण के लिए धान खरीफ फसल के क्षेत्रों के साथ उत्तरवर्ती रबी फसल क्षेत्रों की तुलना की गई है। इन भू-क्षेत्रों में रबी के मौसम के दौरान कम अवधि की दालों की खेती के लिए इन भू-भागों की उपयुक्तता का आकलन करने के लिए संबंधित मिट्टी और जलवायु प्राचलों के साथ विश्लेषण किया गया है।

भारत के प्रमुख चावल उत्पादक राज्यों जैसे असम, बिहार, ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड, पश्चिम बंगाल मंं फसल गहनता के आकलन के लिए उप-जिला स्तरीय स्थानिक स्तर की सूचना तैयार कर उसका अध्ययन किया गया है। इस परियोजना का उद्देश्य खरीफ धान के बाद - रबी परती के स्थानिक सीमा और वितरण का आकलन है तथा कम अवधि की दलहन उगाने के लिए उनकी उपयुक्तता का पता लगाना है।

कॉफी बागानरोपण की भू-स्थानिक सूची (जियो-कप)” पर एक राष्ट्रीय पहल की गई। यह देश में कॉफी बागानों के विकास और विस्तार के लिए एक महत्वपूर्ण निवेश (इनपुट) है। जियोकप परियोजना को हाल ही में कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल के पारंपरिक क्षेत्रों और आंध्र प्रदेश , उड़ीसा एवं उत्तर पूर्वी राज्यों के गैर- पारंपरिक क्षेत्रों में कॉफी के बागानों के व्यवस्थित सूची-निर्माण के लिए शुरू किया गया है।