वन संसाधन अल्प है और जबरदस्त मानवविज्ञानी दबाव के अंतर्गत है। वानिकी और पारिस्थितिकी अध्ययनों का ध्यान पृथ्वी प्रेक्षण प्रौद्योगिकी के उपयोग पर केंद्रित करते हुए, वन संसाधनों के सतत प्रबंधन के लिए समाधान विकसित करने के साथ-साथ सीओपी 21 में कार्बन प्रच्छादन के लिए राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित प्रतिबद्धता के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पूर्ति की ओर है। वन संसाधन अल्प है और जबरदस्त मानवविज्ञानी दबाव के अंतर्गत है। वानिकी और पारिस्थितिकी अध्ययनों का ध्यान पृथ्वी प्रेक्षण प्रौद्योगिकी के उपयोग पर केंद्रित करते हुए, वन संसाधनों के सतत प्रबंधन के लिए समाधान विकसित करने के साथ-साथ सीओपी 21 में कार्बन प्रच्छादन के लिए राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित प्रतिबद्धता के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पूर्ति की ओर है। इन दोनों राष्ट्रीय लक्ष्यों को वन संसाधनों के पृथ्वी पर्यवेक्षण आधारित सुधार और उन्नत सूची की आवश्यकता है।
इसके लिए, एनआरएससी में वानिकी और पारिस्थितिकी अध्ययन बहुकालिक और बहु संवेदक डेटा के स्वचालित संसाधन, वन संरचना व उसके वितरण के तीन आयामी विवरण के विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया है। वन एवं पारिस्थितिकी मंत्रालय (एमओईएफ) और सीसी, डीबीटी, एफएसआई एवं राज्य वन विभागों के साथ निकट सहयोग से वन आवरण परिवर्तन, स्थानिक जैवभार (बायोमास) आकलन, सामुदायिक जैव-विविधता लक्षणन, दावाग्नि सतर्कता प्रणाली, कार्य योजना व वन्य जीवन योजना तैयार करने के लिए इनपुट, वन कार्बन प्रच्छादन, यूएनएफसीसीसी को इनपुट आदि का विश्लेषण किया जा रहा है। .