भूविज्ञान अनुप्रयोग

भूमि संबंधित खतरों का अध्ययन

भूमि संबंधित खतरों का अध्ययन प्राथमिक रूप से भूस्खलन, भूकंप एवं ज्वालामुखियों पर केन्द्रित है। आपदा की स्थिति में क्षति के बाद आकलन के लिए उच्च विभेदन उपग्रह आंकड़ों का उपयोग किया जाता है तथा भूस्खलन एवं भूकंप के मामले में भूस्खलन की सूची तैयार की जाती है। हाल ही में केरल-कर्नाटक-तमिलनाडु (2018), मिजोरम-त्रिपुरा (2017) एवं सिक्किम (2016) में भूस्खलन अध्ययन किया गया है। भूस्खलन के खतरे वाले क्षेत्रों का सीमांकन करते हुए 1:25,000 पैमाने पर हिमाचल प्रदेश एवं उत्तराखंड राज्यों में प्रमुख पर्यटन एवं तीर्थ स्थलों के मानचित्र तैयार किए जाते हैं। ये मानचित्र वर्षा पूर्वानुमान आंकड़ों के साथ एकीकृत किए जाते हैं ताकि भुवन पोर्टल द्वारा भूस्खलन की पूर्व चेतावनी जारी की जा सके। हाल के कुछ सालों में भारत में कई भूकंप आए जिनमें कश्मी का भूकंप (2005), सिक्किम भूकंप (2011) एवं नेपाल का भूकंप (2015) शामिल है। आपदा के बाद बड़े क्षेत्र का कम समय में अति उच्च विभेदन (वीआचआर) उपग्रह आंकड़ों के उपयोग क्षति एवं भूवैज्ञानिक परिवर्तनों के संबंध में विस्तृत सूचना उपलब्ध कराई जाती है। इसके साथ-साथ बैरन द्वीप के ज्वालामुखी से हुए वर्तमान विस्फोट का मानीटरन कालिक उपग्रह आंकड़ों से किया गया।