डॉ. एस सोमनाथ

अध्यक्ष इसरो, सचिव डीवोएस

chairmanडॉ. एस. सोमनाथ प्रतिष्ठित वैज्ञानिक (शीर्ष ग्रेड) हैं और 14 जनवरी 2022 से सचिव, अंतरिक्ष विभाग (अं.वि.), अध्यक्ष, अंतरिक्ष आयोग और अध्यक्ष, इसरो हैं। लगभग 38 वर्षों की सुदीर्घ सेवा देने वाले, डॉ. एस. सोमनाथ अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और प्रमोचन रॉकेट प्रणाली अभियांत्रिकी के क्षेत्र में विशेषज्ञ हैं और उन्होंने कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। अं.वि. के सचिव के रूप में, उन्होंने राष्ट्रीय अंतरिक्ष नीति का नेतृत्व किया, इन-स्पेस के कार्यशील बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, अंतरिक्ष क्षेत्र में गैर सरकारी कंपनियों और स्टार्ट-अप्स के साथ इसरो के सहयोग को सुगम बनाया और एनसिल को उपयोगकर्ता की मांगों को चिह्नित करने, प्रमोचन रॉकेट निर्माण और अंतरिक्ष यान संचालन सहित वाणिज्यिक गतिविधियों को शुरू करने में सक्षम बनाया। चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरना उनके नेतृत्व में एक बड़ी सफलता थी। आदित्य-एल1, एक्सपोसैट, इन्सैट-3डीएस, एनवीएस-01, ओशनसैट, जीसैट-24 और वाणिज्यिक पीएसएलवी और एलवीएम3-वनवेब मिशन हाल की कुछ सफलताओं में से कुछ हैं। उनके नेतृत्व में लघु उपग्रह प्रमोचन रॉकेट (एसएसएलवी) और परीक्षण रॉकेट (टीवी) का विकास किया गया और पुनरुपयोगी प्रमोचन रॉकेट (आरएलवी-एलईएक्स) के लैंडिंग प्रयोग पूरे किए गए। वह भारतीयों को अंतरिक्ष में भेजने के लिए गगनयान कार्यक्रम के साकारीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं और मिशन अबॉर्ट प्रदर्शन के लिए प्रथम परीक्षण रॉकेट उड़ान सफलता पूर्वक संपन्न की गई है। वर्तमान में वह गगनयान, चंद्रयान-श्रृंखला और अन्य अन्वेषण मिशनों, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन विकास और चंद्रमा के मानव मिशन सहित अंतरिक्ष विजन-2047 मिशनों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

2018-21 के दौरान विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) के निदेशक के रूप में, उन्हें प्रमोचन रॉकेट प्रौद्योगिकी विकास का श्रेय जाता है, जहां एलवीएम3-एम1/चंद्रयान-2 मिशन एक प्रमुख उपलब्धि थी। उन्होंने गगनयान कार्यक्रम, लघु उपग्रह प्रमोचन रॉकेट के विकास, पुनरुपयोगी प्रमोचन रॉकेट और वायु-श्वसन प्रौद्योगिकी कार्यक्रमों के लिए महत्वपूर्ण प्रणालियों के विकास का नेतृत्व किया। वह 2015-18 के दौरान द्रव नोदन प्रणाली केंद्र (एलपीएससी) के निदेशक रहे, जहां सी25 चरण का विकास और अर्हता पूर्ण की गई और एलवीएम3-डी1 उड़ान में सफलतापूर्वक उड़ान भरी गई। 18 दिसंबर, 2014 को एलवीएम3-एक्स/केयर मिशन की प्रायोगिक उड़ान सफलतापूर्वक पूरी की गई, वे इसके परियोजना निदेशक थे।

डॉ. एस. सोमनाथ ने टीकेएम कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, कोल्लम से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बी टेक की उपाधि, भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलूरु से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर और आईआईटीएम चेन्नई से पीएचडी की उपाधि ग्रहण की। उन्हें सेंचुरियन, करुण्य, सत्यभामा, एसआरएम, उत्तराखंड, शारदा बिड़ला, बेंगलूरु, जेएनटीयू, केयूएचएस, एमिटी और डी वाय पाटिल विद्यापीठ सहित कई विश्वविद्यालयों से मानद डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान की गई है।

वह इंडियन नेशनल एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग (आईएनएई) के फेलो, भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (आईएनएसए) के फेलो, एयरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (एईएसआई), एस्ट्रोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (एएसआई) के फेलो और इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ एस्ट्रोनॉटिक्स (आईएए) के सदस्य हैं। वह एईएसआई के अध्यक्ष (निर्वाचित) और सोसाइटी ऑफ एयरोस्पेस क्वालिटी एंड रिलायबिलिटी (एसएक्यूआर) के अध्यक्ष हैं। एईएसआई से राष्ट्रीय एयरोनॉटिक्स पुरस्कार, एएसआई से अंतरिक्ष स्वर्ण पदक, एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग से स्वर्ण पदक, प्लेटिनम जुबली पुरस्कार और आईआईएससी, बेंगलूरु के प्रतिष्ठित पूर्व छात्र पुरस्कार, आईआईटी कानपुर से प्रतिष्ठित फेलो पुरस्कार और कर्नाटक राज्योत्सव पुरस्कार उन्हें प्रदान किए गए कुछ पुरस्कार हैं।

उन्होंने संरचनात्मक गतिशीलता और नियंत्रण, सामग्री मॉडलिंग, पृथक्करण तंत्र के गतिशील विश्लेषण, कंपन और ध्वानिक परीक्षण, प्रमोचन रॉकेट डिजाइन और प्रमोचन सेवा प्रबंधन के क्षेत्र में पत्रिकाओं और सम्मेलनों में पेपर प्रकाशित किए हैं। डॉ. एस. सोमनाथ अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष विज्ञान महासंघ (आईएएफ) के उपाध्यक्ष संयुक्त राष्ट्र कोपुओस के प्रतिनिधि रहे हैं और उन्होंने विभिन्न देशों में आयोजित अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष विज्ञान कांग्रेस (आईएसी) में भाग लिया है।