फसल बीमा

प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना (पी.एम.एफ.बी.वाई.) देश में फसल बीमा प्रदान करने के लिए एक प्रमुख राष्ट्रीय कार्यक्रम है। एनआरएससी उपज-क्षेत्र अनुमानों को सुधारने की दिशा में भू-विज्ञान आधारित अध्ययन कर रहा है, जो फसल बीमा तंत्र की कार्यप्रणाली के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण सूचना निवेश (इनपुट) है।

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फसल सघनता

भारत में खरीफ के मौसम में 36 मिलिय हेक्टेयर भू-क्षेत्र में धान की फसल उगाई जाती है। भारत में खाद्य उत्पादन के क्षेत्र में इसका महत्वपूर्ण योगदान है क्योंकि चावल मुख्य खाद्य फसल है। यह देखा गया है कि इस भू-क्षेत्र का लगभग 30% हिस्सा धान की फसल कटने के बाद परती (खाली) रह जाता है। उपग्रह आंकड़ों (डेटा) का उपयोग करते हुए खरीफ के बाद ऐसी धान परती भूमि के मानचित्रण और निगरानी (मानीटरन) से रबी फसल के लिए उपयुक्त क्षेत्रों की पहचान करने में मदद मिलेगी।

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बागवानी फसल सूची निर्माण (इन्वेंट्री) एवं मानचित्रण

भू-सूचना विज्ञान के उपयोग से बागवानी आकलन एवं प्रबंधन (चमन), एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच), कृषि एवं सहकारिता मंत्रालय, भारत सरकार और राज्य बागवानी विभागों के लिए एक राष्ट्रीय मिशन परियोजना है।

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कॉफी बागानों की सूची निर्माण (इन्वेंट्री) के लिए भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी (GeoCUP)

कॉफी बागानों की सूची के लिए भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी (जियोकप) परियोजना, कॉफी बोर्ड, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के लिए कॉफी बागानों के क्षेत्रफल (एकड़ों में) पर विश्वसनीय डाटाबेस तैयार करने के लिए क्रियान्वित की जा रही है।

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उच्च मूल्य वाली फ़सलों का मानचित्रण

उच्च मूल्य वाली फ़सलें ऐसे कृषि-उत्पाद हैं जो आर्थिक दृष्टि से अधिक लाभांश देती हैं। एकल फसलीकरण से होने वाले संभावित जोखिमों को कम करने के लिए ये फसलें अच्छा विकल्प हैं। पुदीना का सत (मेन्थॉल मिंट/ मेंथाअर्वेंसिस) एक महत्वपूर्ण आवश्यक तैलीय पौधा है जिसका व्यापक रूप से

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फाइबर फ़सल सूचना प्रणाली

कपास और जूट हमारे देश की सबसे महत्वपूर्ण रेशायुक्त फसलें हैं। भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों का उपयोग करते हुए एक फाइबर फसल सूचना प्रणाली विकसित की गई है। यह स्थानिक रेशा फसल के आधारभूत आंकड़ा (डेटाबेस) जनन और क्षेत्र स्तरीय प्रेक्षणों के संग्रहण, कपास और जूट के फसल की स्थिति के केंद्रीकृत मानीटरन और आकलन में मदद करेगा।

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चाय क्षेत्र का विकास और प्रबंधन

Tea Board of India require the inventory of tea garden including small growers, monitoring of uprooted and replanted areas. Collaborative study has been conducted by NRSC to support the Tea Board, Tea Research Associations, Tea Gardens and Tea Industries with the adoption of geospatial technologies for better coordination, garden management and informed decision making

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कृषि - जलवायु क्षेत्रों में कार्बन अध्ययन

विभिन्न कृषि पारिस्थितिकी तंत्र में कार्बन / नमी (आर्द्रता) अभिवाह (फ्लक्स) एवं ऊर्जा संतुलन के घटकों का मात्रात्मक आकलन, वितान के ऊपर कार्बन एवं नमी की गतिकी से संबंधित गहन आंकड़ा (डेटा) संग्रहण और भंवर सहप्रसरण अभिवाह (फ्लक्स) टावरों का उपयोग करते हुए फसल के प्रासंगिक जैव-मौसम संबंधी प्राचलों, जैवभौतिकी प्राचलों के माध्यम से किया जाता है। चयनित (चावल, दाल, कपास, जूट) कृषि-पारिस्थितिकी तंत्र में कार्बन और नमी के अभिवाह (फ्लक्स) का मात्रात्मक आकलन, कुल पारिस्थितिकी तंत्र कार्बन संतुलन और इसके प्रेरक कारकों का आकलन, सुदूर संवेदी प्राक्सी का उपयोग करते हुए कार्बन और पानी / ऊर्जा के अभिवाह का क्षेत्रीय स्तर तक संवर्धन किया जाता है।