विहंगावलोकन


भू-निम्नीकरण के मानचित्र तैयार किए गए, जो मृदा संरक्षण और भूमि-सुधार कार्यक्रम नियोजन, भूमि उपयोग नियोजन, अतिरिक्त क्षेत्रों को खेती के अंतर्गत लाने तथा निम्नीकृत भूमि में उत्पादकता के स्तर में सुधार के लिए उपयोगी हैं। भुवन पोर्टल पर लवण प्रभावित और जल भराव वाले क्षेत्र तथा मृदा अपरदन के नक्शे उपलब्ध कराए गए हैं।

देश के कुछ चयनित जिलों में 1:25,000 और 1:12,500 पैमाने पर मृदा संबंधी मानचित्र तैयार करने के लिए अध्ययन किया गया। ग्राम स्तर पर मृदा प्रबंधन, बृहत् पोषक तत्व प्रबंधन के लिए समान प्रबंधन क्षेत्रों का सीमांकन तथा एकफसली कृषि प्रणाली में परिशुद्ध कृषि हेतु आवश्यक मृदा मानचित्र 1:10,000 पैमाने पर तैयार करने के लिए कई प्रायोगिक अध्ययन किए गए हैं। राष्ट्रीय कार्बन परियोजना के अंतर्गत मृदा कार्बन गतिकी पर अध्ययन किया गया, जिसने यूएनसीसीडी को राष्ट्रीय भूमि तटस्थता लक्ष्यों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की।

सुदूर संवेदी आधारित मृदा मानचित्र एक संकर पद्धति के माध्यम से तैयार किए जाते हैं, जिसमें भू-आकृति (स्थलरूप), आश्मिकी (लिथोलॉजी) और वनस्पति प्रकार के बीच निकट संबंध का उपयोग किया जाता है ताकि भू-भाग और मृदा के बीच संबंध को बेहतर ढंग से संबोधित किया जा सके।

आईआरएस सेंसर्स से प्राप्त उपग्रह आंकड़ों का उपयोग मोनोस्कोपिक (गैर-स्टीरियोस्कोपिक) दृश्य निर्वचन और कंप्यूटर-सहायतित डिजिटल विश्लेषण दृष्टिकोणों के माध्यम से मृदा मानचित्र तैयार करने के लिए किया जाता है। दृश्य निर्वचन पद्धति में भू-आकृति (स्थलरूप), आश्मिकी (लिथोलॉजी) और वनस्पति प्रकार के बीच निकट संबंध का उपयोग किया जाता है। मृदा संसाधन मानचित्र से सहायक विषयगत जानकारी का उपयोग भूमि की क्षमता, सिंचाई और उपयुक्तता जैसी व्युत्पन्न जानकारी के आकलन के लिए किया जाता है।