क्षेत्रीय योजनाएं बनाना

मध्यम और उच्च उपग्रह आंकड़ों के उपयोग से क्षेत्रीय योजनाएं बनाना एक महत्वपूर्ण शहरी अनुप्रयोग है। वर्ष 1999 में, 1:50,000 पैमाने पर आईआरएस लिस-III उपग्रह आंकड़ों का उपयोग करके राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के लिए क्षेत्रीय भूमि उपयोग मानचित्र तैयार किए गए, जो क्षेत्रीय योजना-2021 के निर्माण के लिए प्रमुख इनपुट थे।

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राष्ट्रीय शहरी सूचना प्रणाली

राष्ट्रीय शहरी सूचना प्रणाली (एनयूआईएस) एक राष्ट्रीय मिशन है जिसकी शुरुआत वर्ष 2006 में शहरी विकास मंत्रालय (MoUD) द्वारा 152 शहरों के लिए उच्च विभेदन उपग्रह आंकड़ों का उपयोग कर विषयगत सामग्री पर 1:10,000 पैमाने के शहरी भू-स्थानिक आंकड़ा आधार तैयार करने हेतु की गई।

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अमृत शहर

भारत सरकार ने वर्ष 2015 में "अटल कायाकल्प और शहरी परिवर्तन मिशन" (AMRUT) शुरू किया, जिसका उद्देश्य 500 शहरों में घरों को जल आपूर्ति, सीवरेज, और शहरी परिवहन जैसी बुनियादी सेवाएं प्रदान करना और सामुदायिक सुविधाओं का निर्माण करना है। यह कार्यक्रम आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA) को नोडल मंत्रालय और नगर एवं ग्राम नियोजन संगठन (TCPO) को फोकल विभाग बनाकर ग्यारह सुधारों के एक सेट के माध्यम से कार्यान्वित किया गया।

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गेल (GAIL) के लिए पाइपलाइन गलियारे की निगरानी

गेल (इंडिया) लिमिटेड गैस परिवहन के लिए 11,900 किलोमीटर पाइपलाइन अवसंरचना का रखरखाव करता है। पाइपलाइन के "उपयोग के अधिकार (Right of Usage - ROU)" क्षेत्र में 30 मीटर पर किसी भी भौतिक गड़बड़ी की नियमित निगरानी आवश्यक है, जो आमतौर पर मासिक हेलीकॉप्टर निरीक्षण और हर छह महीने में पैदल निरीक्षण द्वारा की जाती है।

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स्मारक निर्णय सहायता प्रणाली (डीएसएस)

भारत एक जीवंत और सांस्कृतिक रूप से विविध देश है, जिसमें 3,600 से अधिक धरोहर स्थल और राष्ट्रीय महत्व के स्मारक हैं, जिनमें से 36 को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है। ये धरोहर स्थल और स्मारक बहुमूल्य और गैर-नवीकरणीय संसाधन हैं जिनका संरक्षण, सुरक्षा और निगरानी आवश्यक है।

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शहरी वृद्धि

बहुकालिक और बहु स्पेक्ट्रमी उपग्रह आंकड़ों का उपयोग करके शहरी विकास पैटर्न का अभिलक्षणन और निगरानी की जाती है। सुदूर संवेदन तकनीक हमें शहरी विकास और शहरी फैलाव के कारणात्मक कारकों को समझने और उनका विश्लेषण करने में सक्षम बनाती है, जिससे जीआईएस आधारित शहरी फैलाव मॉडल बनाया जा सकता है।

वैद्युत संचरण अवसंरचना के लिए वेब-जीआईएस

महाराष्ट्र राज्य विद्युत पारेषण निगम लिमिटेड (MSETCL) महाराष्ट्र राज्य में विद्युत संचरण अवसंरचना — सबस्टेशन, संचरण लाइनों और टावरों के एकीकृत स्थानिक दृश्य और विश्लेषण के लिए भू-स्थानिक सेवाओं का उपयोग कर रहा है।

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भू-स्थानिक शासन – सभी के लिए पीएमएवाई आवास (शहरी)

जून 2015 में भारत सरकार की प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) “सभी के लिए आवास (शहरी)” मिशन शुरू किया गया। गृह निर्माण प्रगति की निगरानी की जटिलता को ध्यान में रखते हुए, आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय (MoHUPA) एवं राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (NRSC), इसरो के सहयोग से पीएमएवाई के “लाभार्थी द्वारा शुरू किए गए व्यक्तिगत आवास निर्माण” घटक के अंतर्गत प्रत्येक घर की जियो-टैगिंग आधारित फोटोग्राफ प्रणाली लागू कर रहे हैं।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य संसाधन भंडार (एनएचआरआर)

यह भारत की पहली राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुविधा रजिस्ट्री है, जिसमें सभी सार्वजनिक और निजी स्वास्थ्य सेवा प्रतिष्ठानों के प्रामाणिक, मानकीकृत और अद्यतन भू-स्थानिक डेटा शामिल हैं। इसे केंद्रीय स्वास्थ्य आसूचना ब्यूरो (CBHI), स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) के समन्वय से कार्यान्वित किया जा रहा है।

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विधि और न्याय मंत्रालय हेतु न्यायिक अवसंरचना की निगरानी

इस परियोजना में देश में न्यायपालिका के लिए बुनियादी सुविधाओं की मेजबानी और निगरानी के लिए मोबाइल और वेब एप्लिकेशन प्रणाली के विकास की परिकल्पना की गई है। 'न्याय विकास' - देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में जिला और अधीनस्थ न्यायपालिका के लिए बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए केंद्र प्रायोजित योजना (सीएसएस) के तहत परियोजनाओं की निगरानी के लिए एक भुवन वेब पोर्टल और मोबाइल ऐप।

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विद्युत लाइनों का संरेखण

विद्युत लाइनों के लिए मार्ग संरेखण आईआरएस लिस-III उपग्रह आंकड़ों का उपयोग करके किया जाता है ताकि स्थलाकृति, ढलान, मौजूदा भूमि उपयोग, वन/वनस्पति आच्छादन, जल निकाय/जल निकासी, निर्मित क्षेत्र, सड़क, रेल, अभयारण्य/राष्ट्रीय उद्यान जैसी भू-भाग विशेषताओं की आधारभूत जानकारी प्राप्त की जा सके, जो किसी भी अवसंरचना गलियारे के संरेखण हेतु मुख्य मार्गदर्शक कारक होते हैं।