डॉ. प्रकाश चौहान

निदेशक, एनआरएससी

Chairman


डॉ. प्रकाश चौहान ने रूड़की विश्वविद्यालय [अब भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), रूड़की] से अनुप्रयुक्त भूभौतिकी (अप्लाइड जियोफिजिक्स) में स्नातकोत्तर डिग्री और गुजरात विश्वविद्यालय, अहमदाबाद से भौतिकी में पी.एच.डी. प्राप्त की। राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (एनआरएससी), हैदराबाद में कार्यभार ग्रहण करने से पहले, वह अप्रैल 2018 से भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान (आईआईआरएस), देहरादून में निदेशक थे। डॉ. प्रकाश चौहान ने वर्ष 1991 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अंतरिक्ष उपयोग केंद्र, अहमदाबाद में एक वैज्ञानिक के रूप में पदभार ग्रहण किया और तब से भूविज्ञान, वायुमंडलीय और महासागरीय प्रक्रिया अध्ययन, महासागर और भूमि संसाधनों के लिए प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के लिए सुदूर संवेदन तकनीक सहित अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोगों के लिए कार्यरत हैं। उन्होंने भारतीय ग्रहीय मिशनों के माध्यम से सौर मंडल के खगोल-पिंडों, मुख्य रूप से पृथ्वी के चंद्रमा और मंगल, के अध्ययन के लिए ग्रहीय सुदूर संवेदन हेतु अनुसंधान कार्यकलापों का सूत्रपात किया।

उनकी प्रमुख उपलब्धियाँ भू-प्रेषण अनुप्रयोगों के क्षेत्र में हैं जिसमें महासागरीय वर्ण प्राचल पुनर्प्राप्ति के लिए एल्गोरिथ्म का विकास, अंतरिक्ष आधारित वायु गुणवत्ता निगरानी के लिए वायवीय कण (एयरोसोल) सुदूर संवेदन, विभिन्न पारिस्थितिक तंत्र के लिए जलवायु प्रतिक्रिया और आपदा न्यूनीकरण शामिल है। फ़िलहाल वह अंतरिक्ष से हिमालय के हिममंडल और वायु गुणवत्ता की जलवायु प्रतिक्रियायों के अध्ययन हेतु उपग्रह सुदूर संवेदन आंकड़ों के प्रयोग पर कार्य कर रहे हैं। डॉ. प्रकाश चौहान ने भारतीय ग्रहीय मिशनों जैसे चंद्रयान-2 और चंद्रयान-1 के लिए हाइपरस्पेक्ट्रल उपग्रह आंकड़ों का प्रयोग करके चंद्र सतह संरचना मानचित्रण के लिए नेतृत्व कार्य किया है। वह चंद्रयान-2 मिशन पर लगे अवरक्त प्रतिबिंबन स्पेक्ट्रममापी (इन्फ्रारेड इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर उपकरण) के प्रधान अन्वेषक रहे। चंद्रयान-2 के IIRS स्पेक्ट्रममापी आंकड़ों पर उनके कार्य के परिणामस्वरूप चंद्रमा की सतह पर H2O और OH का स्पष्ट पता चला है। उनके निष्कर्षों ने चंद्रमा पर विभिन्न स्थानों पर पानी के अणुओं की उपस्थिति को निर्णायक रूप से स्थापित किया है।

वह वर्तमान में अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग पर यू.एन.-समिति (UNCOPUS) के एसटीएससी (STSC) में वर्किंग ग्रुप ऑफ होल (Working Group of Whole) के अध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं। उन्होंने वर्ष 2018-19 के लिए केपॅसिटी बिल्डिंग एंड डेटा डेमोक्रेसी (WGCapD) पर सीईओएस (CEOS) कार्य समूह के अध्यक्ष के रूप में भी काम किया है। वह प्रतिष्ठित नासा-इसरो ग्रहीय विज्ञान कार्य समूह के सदस्य भी रहे हैं।

उन्हें एशिया प्रशांत क्षेत्रीय अंतरिक्ष एजेंसी फोरम द्वारा एशिया प्रशांत क्षेत्र उत्कृष्टता पुरस्कार (अंतरिक्ष) 2023 से सम्मानित किया गया, उन्हें वर्ष 2004 के लिए इंडियन सोसाइटी ऑफ रिमोट सेंसिंग द्वारा प्रतिष्ठित प्रो. पी.आर. पिशारोटी मेमोरियल पुरस्कार, 2009 के लिए भौतिक अनुसन्धान कार्यशाला (PRL), अहमदाबाद द्वारा हरिओम आश्रम प्रेरित डॉ. विक्रम साराभाई रिसर्च अवार्ड, 2010 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संगठन द्वारा इसरो मेरिट अवार्ड और 2016 के लिए आईएसआरएस (ISRS), देहरादून द्वारा सतीश धवन पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्होंने राष्ट्रीय और अतरराष्ट्रीय जरनलों में 150 से अधिक समीक्षित आलेख (पीअर रिव्यूड पेपर्स) प्रकाशित किए हैं।

वह इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ एस्ट्रोनॉटिक्स (आईएए) 2024 के संवादी सदस्य के रूप में चुने गए हैं और वर्तमान में नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस (एनएएसआई), इलाहाबाद, इंडियन सोसाइटी ऑफ रिमोट सेंसिंग और इंडियन सोशल साइंस एकेडमी के अधि-सदस्य (फेलो) हैं।