डॉ. विक्रम अंबालाल साराभाई

Chairman


डॉ. विक्रम साराभाई का जन्म 12 अगस्त 1919 को अहमदाबाद, गुजरात में हुआ था। डॉ. विक्रम ए साराभाई ने कैंब्रिज विश्वविद्यालय, यू.के. से टराइपोस (1939) और कॉस्मिक रे भौतिकी में पीएचडी (1947) प्राप्त की। उन्होंने नोबेल पुरस्कार विजेता सर सी.वी.रमन, के साथ भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलूरु में कार्य किया। कैम्ब्रिज से लौटने पर, डॉ. साराभाई ने अहमदाबाद में भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (PRL) की स्थापना की। उन्होंने अहमदाबाद टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज़ रिसर्च एसोसिएशन (ATIRA) और भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM), अहमदाबाद की भी स्थापना की।

इस धारणा के साथ कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी राष्ट्रीय विकास में एक सार्थक भूमिका निभा सकती है और आम लोगों की समस्याओं को हल कर सकती है, डॉ. विक्रम ए. साराभाई ने 1960 में भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को आकार दिया। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम ने आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की ओर विशेष ध्यान दिया तथा टेलिविजन प्रसारण, दूरसंचार एवं मौसमविज्ञानी अनुप्रयोगों के लिए दूरसंचार उपग्रहों; प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन के लिए सुदूर संवेदन उपग्रहों के निर्माण एवं प्रक्षेपण की क्षमताओं को विकसित किया। इस प्रकार भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम ने देश में अंतरिक्ष संबंधित गतिविधियों का आरंभ किया तथा धीरे-धीरे अगस्त 15, 1969 को इसरो अस्तित्व में आया।

डॉ. विक्रम साराभाई ने नेहरू फाउंडेशन फॉर डेवलपमेंट के तत्वावधान में सामुदायिक विज्ञान केंद्र की स्थापना की, जिसका नाम बदलकर विक्रम ए. साराभाई सामुदायिक विज्ञान केंद्र रखा गया। वर्ष 1966 में, डॉ. साराभाई को परमाणु ऊर्जा आयोग, भारत सरकार के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था।

पुरस्कार : शांति स्वरुप भटनागर पुरस्कार (1962), पद्म भूषण (1966), पद्म विभूषण, मरणोपरांत (आफ्टर-डेथ) (1972)

विशिष्ट पद: भारतीय विज्ञान कांग्रेस (1962), भौतिकी अनुभाग के अध्यक्ष; आईएईए (I.A.E.A.), वियाना (1970) के आम सम्मेलन के अध्यक्ष; 'परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग' पर (1971) चौथे यू.एन. (U.N.) सम्मेलन के उपाध्यक्ष।

सम्मान: केरल राज्य की राजधानी तिरुवनंतपुरम (त्रिवेंद्रम) में स्थित रॉकेटों के लिए ठोस और द्रव नोदक में विशेषज्ञता वाले एक शोध संस्थान, विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) का नाम उनकी स्मृति में रखा गया है। 1974 में, सिडनी में अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ (इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन) ने निर्णय लिया कि शांति के सागर (सी ऑफ सेरेनिटी) में एक मून क्रेटर बेसेल को साराभाई क्रेटर के रूप में जाना जाएगा।

डॉ. विक्रम साराभाई का 30 दिसंबर 1971 को केरल के तिरुवनंतपुरम के कोवलम में निधन हो गया। इसरो ने अंतरिक्ष कार्यक्रमों को संचालित करने में उनकी दूरदर्शी रणनीति को अपनाया है, जिसका मुख्य उद्देश्य सामाजिक लाभ है।