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राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (एनआरएससी)भारत में प्रयोक्ताओं के बीच सुदूर संवेदन प्रौद्योगिकी एवं अनुप्रयोगों के प्रचार पर ध्यान केंद्रित करते हुए, भूमि, जल, वातावरण और प्राकृतिक आपदाओं पर "सुदूर संवेदी अनुप्रयोग" पर एक पुस्तक निकाली है। इस पुस्तक का संकलन एवं संपादन पी.एस.रॉय, आर.एस.द्विवेदी एवं डी.विजयन ने किया है। पुस्तक में 16 अध्यायों को शामिल किया गया है जो विभिन्न अनुप्रयोगों को संबोधित करते हुए परिचय से शुरु करते हुए, अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी, केस स्टडी, तकनीकी साहित्य की समीक्षा, भविष्य के रुझान के अलावा प्रासंगिक संदर्भ प्रदान करते हैं जो प्रचालनात्मक वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के लिए अति उपयोगी है। सुदूर संवेदन और जीआईएस एप्लिकेशन क्षेत्र के विशेषज्ञ वैज्ञानिकों ने इन अध्यायों में योगदान दिया है। पुस्तक को एनआरएससी, हैदराबाद में 12 सप्ताह के पाठ्यक्रम में भाग लेने वाले पाठ्यक्रम प्रतिभागियों को वितरण के लिए प्रशिक्षण सामग्री के रूप में प्रकाशित किया गया। पुस्तक में 16 अध्यायों में 397 पृष्ठ हैं और उसे एनआरएससी वेबसाइट में रखा गया है ताकि प्रयोक्ता अपनी आवश्यकताओं के अनुसार अध्याय वार देख/डाउनलोड कर सकें।
एनआरएससी/इसरो द्वारा प्रतिलिप्याधिकार सुरक्षित (कॉपीराइट) @ 2010। केवल शैक्षिक (अकादमिक) व अनुसंधान के उद्देश्य के लिए रखा गया है। इस दस्तावेज की सामग्री का किसी भी प्रकार से अंश (या)पूर्ण रूप से प्रतिलिपि बनाना निषिद्ध है।
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पिछले तीन दशकों में, भारतीय भू प्रेक्षण कार्यक्रम ने 2.5 मीटर के उत्कृष्ट स्थानिक विभेदन को हासिल करने के साथ स्थूल, मध्यम एवं उच्च विभेदी संवदेकों के साथ भारतीय सुदूर संवेदी उपग्रहों की एक श्रृंखला का सफलतापूर्वक प्रमोचन व संचालन किया है।
क्र.सं. | दस्तावेज | लिंक |
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1. | राजीव गांधी राष्ट्रीय पेयजल मिशन प्रयोक्ता मैनुअल |