कृषि

अनुप्रयोग

फाइबर फसल सूचना प्रणाली

कपास और जूट हमारे देश की सबसे महत्वपूर्ण रेशायुक्त फसलें हैं। भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों का उपयोग करते हुए एक फाइबर फसल सूचना प्रणाली विकसित की गई है। यह स्थानिक रेशा फसल के आधारभूत आंकड़ा (डेटाबेस) जनन और क्षेत्र स्तरीय प्रेक्षणों के संग्रहण, कपास और जूट के फसल की स्थिति के केंद्रीकृत मानीटरन और आकलन में मदद करेगा।

चाय क्षेत्र का विकास और प्रबंधन

भारत के चाय बोर्ड को छोटे उत्पादकों के साथ चाय के बागानों, निराई किए हुए, पुनः रोपे गए बागान क्षेत्रों की सूची की आवश्यकता है। चाय बोर्ड, चाय अनुसंधान संघों, चाय बागानों और चाय उद्योगों में बेहतर समन्वय, उद्यान प्रबंधन और निर्णय सूचना के लिए भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए एनआरएससी द्वारा सहयोगात्मक अध्ययन किया गया है।

कृषि- जलवायु क्षेत्रों में कार्बनअध्ययन

विभिन्न कृषि पारिस्थितिकी तंत्र में कार्बन / नमी (आर्द्रता) अभिवाह (फ्लक्स) एवं ऊर्जा संतुलन के घटकों का मात्रात्मक आकलन, कार्बन एवं वितान के ऊपर नमी की गतिकी से संबंधित गहन आंकड़ा (डेटा) संग्रहण और फसल के प्रासंगिक जैव-मौसम संबंधी प्राचलों के साथ भंवर सहप्रसरण अभिवाह (फ्लक्स) टावरों का उपयोग करते हुए किया जाता है। सुदूर संवेदी प्राक्सी का उपयोग करते हुए चयनित (चावल, दाल, कपास, जूट) कृषि-पारिस्थितिकी तंत्र में कार्बन और नमी के प्रवाह, कुल पारिस्थितिकी तंत्र कार्बन संतुलन और इसके प्रेरक कारकों का आकलन, कार्बन और पानी / ऊर्जा के अभिवाह को क्षेत्रीय स्तर तक बढ़ाने का मात्रात्मक आकलन किया जाता है।